top of page

कल्पनाओं का बौनापन

बहुत बार सुना है मैंने, बड़े कह गए, कि कल्पनाओं में शक्ति है।

एक चमत्कारी शक्ति।


कल्पनाओं के आधार पर ही उन्नत्ति होती है, हुई भी है और हुआ है विकास।

कल्पना करना ही तो है सफलता की पहली सीढ़ी।


कल्पना यानि क्या?

अपने आप को इतना बड़ा समझना कि कठिन राहें आसान लगने लगे।


कल्पना ही तो थी, तभी विमान का निर्माण हुआ।

और हुए कई अजब गज़ब अविष्कार।


कल्पना एक पंछी है जो नीले गगन में उड़ना पसंद करती है,

और तो और उड़ने के लिए ही बनी है।


कल्पना वह पंछी है, जिसको स्वतंत्रता की दरकार है।

पिंजरा, बेड़ियां, चार दीवारें, यह कल्पनाओं का घर नहीं।


वह बहना जानती है, दायरा नहीं।

उसकी अपनी ही एक लय है, धारा है।


कल्पनाएं सफल या विफल नहीं होती, नाही सही या गलत होती है।


नदी पर जाना एक छोटे घड़े के साथ, कल्पना नहीं।

ना ही बिना समझे आविष्कार को, उसके कारक की प्रशंसा करना, कल्पना है।


सत्य को जाँचे बिना उसको स्वीकार करना, कल्पना नहीं।

नाही, ज्ञान पर सवाल उठाए बिना रज़ामंद हो जाना कल्पना है।


कल्पना डरपोक नहीं होती, वह मुख्यधारा के विरूद्ध निर्भयता से युद्ध करती है।


यह तो कल्पनाओं का बौनापन है जो एक समाज को विकसित नहीं होने देता है।


कल्पनाओं का बौनापन है जो भय में जीना पसंद करता है।

जो स्वतंत्र रहने, उड़ान भरने, खुलकर बहने, सवाल उठाने या जाँचने से कतराता है।



Comments


CONNECT

  • Instagram
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Twitter

LEGAL

ADDRESS

Shunya Farm, Upper Bir,

Village P.O Bir, Teh. Baijnath, Himachal Pradesh, India - 176077

© 2021 Seeds and Deeds. All rights reserved. The material on this site may not be reproduced, distributed, transmitted, cached or otherwise used, except with the prior written permission of Seeds and Deeds.

bottom of page